पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३०५

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Dohas 1-3] Pilgrimage ૨૪૦ CHAPTER 4 The Beginnings of the Pilgrimage. (१) अनुवाद. सत नाम क्षीर रूप है, व्यवहार नीररूप है। कोई ( विरला ) साधु हंस रूप है, जो दोनों को छान सकता है। (२) अनुवाद. उसी गुरु की श्लाघा करो, जो सिकलीगर हो, (और) जो जन्म जन्म का मोरचा क्षण में धो डाले । (३) अनुवाद. गुरु कुम्भकार है और शिष्य कुम्भ है । गुरु ठोक- ठोक कर शिष्य की खोट निकालता है । बाहर चोट लगाता है; पर भीतर हाथ से सहारा देता है । 3