पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२९८

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२४० परमार्थसोपान [Part IÌ Ch. 3 7 LIMITED HUMAN FREEDOM. कवीर कूता राम का, मुतिया मेरा नाउँ । गले नाम की जेवड़ी, जित खेचे तित जाउँ । 8. GOD THE SOURCE OF ALL HONOUR घर घर माँगे टूक, पुनि, भूपति पूजे पाय । ते तुलसी तब राम विनु, ते अब राम सहाय ॥ 9. GOD AS SERVING THE SAINTS. चित्रकूट के घाट पर, भइ सन्तन की भीर । तुलसिदास चन्दन घिसै, तिलक देत रघुवीर ॥