पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२९४

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२३६ परमार्थसोपान [Part II Ch. 3 CHAPTER 3 The Relation of God to Saints 1. THERE ARE SAINTS AND SAINTS; RARELY ONE AMONG THEM IS THE BELOVED OF GOD. सन्त सन्त सब एक हैं, जस पोहता का खेत । कोइ कुदरती लाल हैं, और सेत के सेत ॥ 2. SAINTS DO NOT MOVE IN FLOCKS. सिंहों के लैहड़े नहीं, हंसों की नहिं पाँत । लालों की नहिं बोरियाँ, साधु न चलें जमात ॥ 3. THE UNIVERSAL IMMANENCE OF GOD. तुलसी मूरति राम की, घट घट रही समाय । ज्यों मेहँदी के पात में, लाली लखी न जाय ॥ कस्तूरी कुण्डल बसै, मृग ढूँढ़े बन माँहि । ऐसै घट घट राम है, दुनियाँ ढूँढन जाहि ॥