पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२९१

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Dohas 10-12] Moral Preparation २३३ [१०] अनुवाद. मेरी देह अस्थि- चर्म-मय है । उस में जैसी ( तुह्मारी ) प्रीति है, वैसी अगर श्रीराम में होती तो भवभीति नहीं रहती । [११] अनुवाद. तुलसीदास कहते हैं कि, इस जग में आकर सब से दौड़ कर मिलिये, मालूम नहीं, किस रूप में नारायण मिल जायेंगे | [१२] अनुवाद. घर की रक्षा करने पर भी घर जाता है । घर छोड़ने से घर जाता ही है । तुलसीदास कहते हैं कि घर और बन के बीच में ईश्वर-प्रेम का पुर छाकर रहो ।