पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२८८

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२३० परमार्थसोपान [Part II Ch. 2 7. CHARITY RETURNS UPON ITSELF. ऋतु वसन्त याचक भयो, सब द्रुम दीन्हे पात । दीन्हें से फिरि मिलत है, यही दिए की बात || 8. VARIETIES OF OBTAINMENT. सहज मिलै सो दूध सम, माँगा मिलै सो पानि । कह कबीर वह रक्त सम, जा में खींचातानि ॥ 9. NOT TO BEG IS THE RULE OF SPIRITUAL LIFE तुलसी कर पर कर करै, करतल कर न करे । जा दिन करतल कर करै, बा दिन मरन करे |