पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२८७

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Dohas 4-6] Moral Preparation २२९ (४) अनुवाद. कबीर कहते हैं, (ए मन ) तेरी झोंपड़ी गलकट्टों के पास है । जो करता है, सो पाता है । तू क्यों उदास होता है ? (५) अनुवाद. मृदंग कहता है, " धिक् है ! धिक् है !" मञ्जीर पूछता है, "किनको ? किनको १ " तब वेश्या ( उपस्थित लोगों की ओर ) हाथ उठाकर कहती है " इनको, इनको, इनको, इनको " । (६) अनुवाद. ( तूने ) गाया है, मन का मोह नहीं गया । पर जान नहीं लिया है। (तेरे ) (तू) पारस तक नहीं पहुँचा; ( इसलिए तू ), लोह का लोह ही रह गया ।