पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२८५

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Dohas 1-3] Moral Preparation २२७ CHAPTER 2 Necessity of Moral Preparation. (१) अनुवाद. चींटी ( पिपीलिका ) चावल लेकर चली थी, रास्ते में दाल मिल गई । कवीर कहते हैं कि, दोनों नहीं मिल सकते, एक ले, तो दूसरी ( चीज ) डाल दे । (२) अनुवाद. कदली सीप और सर्प - मुख में एक स्वाति बूँद के तीन ( अलग अलग ) गुण हो जाते हैं। जैसी संगति होगी, वैसा ही वह फल देगी । (३) अनुवाद. रहीम कहते हैं कि अगर प्रकृति उत्तम हो, तो कुसंग क्या कर सकता है ? सर्प लिपटे रहने से भी चन्दन वृक्ष में विप नहीं घुसता ।