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શ્રેષ્ઠ परमार्थसोपान

[ Part II Ch. i 4. BITTER DECREPITUDE AS THE FINAL LOT OF THE HUMAN BODY. कच्चे में नीका लगै, गदरे बहुत मिठाय । इक फल है ऐसा सखी, पाकि गए कड़वाय ॥ 5. DUST THOU ART AND TO DUST RETURNEST. कहूँ जाये, कहूँ ऊपने, कहाँ लड़ाए लाड़ । कहाँ बिराजै राज सों, कौन खाड़ में हाड़ || 6. THE FUNERAL PYRE AS THE INCITER To SPIRITUAL LIFE. हाड़ जरैं ज्यों लाकड़ी, केस जैरें ज्यों घास । जगत पजरता देखि के, कविरा भया उदास ॥