पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२८१

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Doha 31 Incentives २२३ (३) अनुवाद. कौन जाने क्षणभंगुर जीवन की कली कल प्रातःकाल खिलेगी या न खिलेगी । मलयाचल की शुचि शीतल मंद सुगन्ध हवा (तुमको ) मिलेगी या न मिलेगी । कलि पुरुष कुठार लेकर घूम रहा है, कोमल तनु से चोट सही जायगी या न सही जायगी । अरी रसना ! ( अभी ) हरि नाम कह ले, फिर अन्त समय में तू हिलेगी या न हिलगी ।