पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२७०

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२१२ परमार्थसेोपान [Part I Ch. 5 32. ON FORGIVENESS AS HAVING NO FUNCTION BEFORE SINLESSNESS. पावन जस है माधो तेरा, तू दारुन अघमोचन मेरा ॥ टे ॥ कीरति तेरी पाप विनासै, लोग वेद यो गावैं । जो हम पाप करत नहिं भूधर, तौ तू कहा नसावे ॥ १ || जब लग अंग पंक नहिं परसै, तौ जल कहा पखारै । मन मलीन विषयारम लम्पट, तौ हरिनाम सँभारै जो हम विमल हृदय चित अन्तर दोष कौन परिहरिहौ । कह रैदास प्रभू दयाल हौ, ॥२॥ अवन्ध मुक्त का करिहौ ॥३॥