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२१० परमार्थसोपान [ Part 1 ch. 5 31. RAIDAS ON THE FUTILITY OF WAVING LIGHTS BEFORE AN OMNIPRESENT GOD. आरती कहाँ लौ जो । सेवक दास अचम्भो होवे
बावन काञ्चन दीप धरावै । जड़ वैरागी दृष्टि न आवै
कोटि भानु जाकी सोभा रोमै । कहा आरती अगनी होमै
पाँच तत्व तिरगुनी माया । जो देखे सो सकल समाया ॥ ४ ॥
कह रैदास देखा हम माहीं । सकल ज्योति रोम सम नाहीं ॥ ५ ॥