पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२६५

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Pada 29] Ascent. २०७: (२९) अनुवाद: तत्व का हिण्डोला सद्गुरु झुलाता है और उसमें मेरा मन झूल रहा है। बिना डोरी और बिना खम्भे के पालने में ( वह ) लेटा है । आठों पहर झनकार उठ रहीं हैं । हे सखियो ! अनुभव मंगलाचरण रूप हिण्डोल गीत गाओ । अब आवागमन नहीं होगा । पालना जगत से छूट गया और प्रेम-पदार्थ ( जीवात्मा ) अलग हो गया । दास गुलाल कहते हैं, कि मुझे यार मिल गया है।