पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२३२

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१७४ परमार्थ लोपान [ Part I Ch. 5. 13. CHARANDAS ON THE VARIETIES OF ANAHAT SOUND. ऐसा देस दिवाना रे लोगो, जाय सो माता होय । चिन मदिरा मतवारे झूमै, जनन मरन दुख खोय ॥ १ ॥ बिना सीप अनमोलक, बिन दामिनि दमाहीं । चिन ऋतु फूले फूल रहत हैं, अमरत रस फल पागै अनहत शब्द भँवर गुजरे, संख पखावज गाजै । ताल घण्ट मुरली घन घोरा, ॥ २ ॥ भेरि दमामै गाजै 11 3 11 रम्भा नृत्य करे बिन पग सूँ, विन पायल उनका रै | सिद्धि गर्जना अति ही भारी, घुंघुरु-गति झनकारै गुरु सुकदेव करें जब किरपा, ऐसा नगर दिखावै । चरनदास वा पग के परसे, आवागमन नसावे ॥ ५ ॥