पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२२७

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Pada 11] Ascent. १६९ (११) अनुवाद. रे भाई, गुरु कृपा का अञ्जन नेत्रों में लगाया है जिससे राम के अतिरिक्त हमें कुछ नहीं दिखाई पड़ता । भीतर राम है; बाहर राम है | जहां देखो वहां राम ही राम है । जागते समय राम है; सोते समय राम है और मैं स्वप्न में भी आत्माराम को देखता हूँ । जनार्दन स्वामी के शिष्य एकनाथ कहते हैं कि मेरा अनुभव सच्चा है; क्यों कि जहां मैं देखता हूं, वहां लगातार राम ही दिखाई पड़ता है ।