पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२२४

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१६६ परमार्थसोपान 24 [Part I Ch. 5 " 10. “ MY THAKURDWAR IS EVERYWHERE", SAYS CHARANDAS. और देवल जहँ धुन्धली पूजा, देवत दृष्टि न आवै । हमारा देवत परगट दीसे, बोलै, चालै, खावै जित देखों तित ठाकुरद्वारा, करों जहां नित सेवा । पूजा की विधि नीके जानी, 11 % 11 जायूँ परसन देवा 11 3 11 करि सम्मान अस्नान कराऊँ, चन्दन नेह लगाऊँ । मीठे बचन पुष्प जोइ जानों, है कर दीन चढ़ाऊँ परसन करि करि दरसन पाऊँ, बार बार बलि जाऊँ । चरनदास सुकदेव बतावें, आठ पहर सुख पाऊँ 11 3 11 118 11