पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१६१

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Pada 17 ] The Relation of God. १०३ (१७) अनुवाद. हे स्वामी, जब प्राण तन से निकले तो इतनी कृपा हो कि कृष्ण कृष्ण कहकर मेरी जान इस शरीर से निकले । श्री गंगाजी का किनारा हो, श्री यमुनाजी पर का वट हो । जब साँवरा निकट हो, तब तन से प्राण निकले । सामने साँवला खड़ा हो; मुरली का स्वर चारों दिशाओं में भरा हो और जब तू चित्त में अड़ा हो, तत्र तन से प्राण निकले । (Contd. on p. 105)