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१०२ परमार्थ लोपान [ Part I Ch. 3 17. ABSOLUTE RESIGNATION TO THE WILL OF GOD. इतनी कृपा हो स्वामी, जब प्राण तन से निकले || श्रीकृष्ण कृष्ण कह कर, मेरि जान तन से निकले ॥ १ ॥ श्रीगंगजी का तट हो, श्रीजमुनजी का वट हो । जब सबसे निकट हो, तब प्राण तन से निकले ॥ २ ॥ सन्मुख साँवरा खड़ा हो, मुरली का स्वर भरा हो ॥ चित में जो तू अड़ा हो, तब प्राण तन से निकले ॥ ३ ॥ (Contd. on p. 104)