पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१५६

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परमार्थसोपान [ Part I Ch. 3 15. PASSIONATE ATTACHMENT OF DEVOTEE TOWARDS GOD, घर तज, बन तजौं, नागर नगर तजौं, बंसीबट तट तजौं, काहू पै न लजिहीं ॥१॥ देह त गेह तजौं, नेह कहाँ कैसे तजौं, आज राजकाज सब, ऐसो साज सजिहौं ||२|| बावरो भयो है लोक, बावरी कहत मोकों, बावरी कहे तें नेकु काहू न बरजिहौं कहैया सुनैया तज, बाप और भैया तजौं, ॥३॥ दैया ! तजी मैया, पै कन्हैया नाहिं तजिहीं ॥४॥