पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१४३

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

Pada 8] The Relation of God. ८५ (८) अनुवाद. रे, वन में खोजने के लिये क्यों जाता है ? सर्व- व्यापी और सदा अलोप तुझ में ही समाया है । जिस प्रकार फूल में सुगन्ध और मुकुर में छाया बसती है, वैसे ही हरि निरन्तर ( तुझ में ) बसता है । रे भाई, अपने घट में ही उसको खोजो । बाहर और भीतर एक ही जान लो। गुरु ने इसी को ज्ञान कहा है। नानक कहते हैं, कि अपने को पहिचाने बिना भ्रम की काई नहीं मिटती ।