पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१३३

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Pada 4] The Relation of God. (४) अनुवाद. हे पार्वती, हरि के सुन्दर चरित सुनो । ( जिसको ) वेद विपुल और विशद ( कहकर ) गाते हैं । जिस कारण से हरि का अवतार होता है, वह ठीक " यह इस प्रकार है " ऐसा कहा नहीं जाता । राम बुद्धि, मन और वाणी से अतर्क्य हैं । हे बुद्धिमती पार्वती, सुनो; यही हमारा मत है । तथापि सन्त, मुनि, वेद, पुराण अपनी अपनी बुद्धि के अनुसार जो कुछ कहते हैं, वह जिस प्रकार मुझे समझ पड़ता है, हे सुन्दरमुखी पार्वती ! तुझे मैं सुनाता हूं । असुरों को मार कर देवों की स्थापना करते हैं । निज वेदों की मर्यादा का पालन करते हैं (और कराते हैं ) । संसार में निर्मल यश फैलाते हैं । यही राम-जन्म का हेतु है । हरि के भक्त इस यश का गान कर भवसागर तर जाते हैं । भगवान कृपासिंधु जगत् कल्याण के लिये शरीर धारण करते हैं । तथापि रामजन्म के अनेक हेतु हैं और वे एक से एक विचित्र हैं । (७५