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२८६] सुधाकर-चन्द्रिका। ६२३ चउपाई। देखि सुरुज बर कवल सँजोगू। असतु असतु बोला सब लागू । मिला सो बंस अंस उँजिवारा। भा बरोक अउ तिलक सँवारा॥ अनिरुध कह जो लिखौ जइमारा। को मेटइ बानासुर हारा॥ अाजु बरौ अनिरुध कहँ जखा। देवो अनंद दइति सिर दूखा ॥ सरग सुर भुइँ सरवर केवा। भवर भण्उ रसलेवा ॥ पछिउँ क बार पुरुब कई बारौ। लिखो जो जोरी होइ न निनारी ॥ मानुस साज लाख पइ साजा। साजा बिधि सोई पद बाजा ॥ बन-खंड - दोहा । गए जो बाजन बाजत जेहि मारन रन माँह । फिरि बाजे ते बाजे मंगलचार उनाँह ॥ २८६॥ इति सूरी-खंड ॥ २५॥ देखि = दृष्ट्वा = देख कर । सुरुज = सूर्य । बर = वर = श्रेष्ठ = विवाह योग्य पुरुष । कवल = कमल । संजोगू = संयोग्य = लायक । असत् = अस्तु । बोला= बोल (बदति) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन। सब = सर्व । लोगू = लोग = लोक प्राणी। मिला = मिल (मिलति) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन । मो= वह = मः। बंस = वंश। अंस = अंश अवतार। उजियारा उचल। भा= बभूव = भया = हुा । बरोक= वर परीक्षा=बरेखी। अउ = अपि = और । तिलक = टोका। सँवारा = सँवार (संमार्जयति) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन । अनिरुध = अनिरुद्ध = कृष्ण का पोता प्रद्युम्न का बेटा। कह= को। जो = यत् । लिखौ = लिखई (लिखति) का भूत-काल, स्त्रीलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन । जदूमारा=जयमाला = विजय-माला। को= -कौन । मेटदू = मेटे = मृदमेतु । बानासुर = वाणासुर = वलि का बेटा। हारा = हारद (हारयति) का भूत-काल, पुंलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन । श्राजु = श्राज = अद्य । बरौ = बरदु (वृणोति) का भूत-काल, स्त्रीलिङ्ग, प्रथम-पुरुष, एक-वचन । ऊखा = ऊषा = वाणासुर को वेटौ।

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