२०५] सुधाकर-चन्द्रिका । ५८५ गन्धर्व-राज मौत । दोहा। नाउँ महापातर मोहि तेहि क भिखारी ढौठ । जउँ खरि बात कहत रिस ( लागइ) खरिअइ कहहिँ बसौठ ॥ २७५ ॥ जो = जौं = यदि। मत = सत्य = सच । पूँछसि = पृच्छसि पूछता है। गधरब- राजा गन्धर्व-सेन राजा। पद अपि = निश्चय कर। कहउँ = कथयामि = कहता हूँ। परद् = पतेत् = पडे । किन = किमु न = क्यों न । गाजा = गा = गरजने- वाली = बिजली। भाटहि = भटस्य =भाट को। कहा किम् = क्या । मौंचु= मृत्यु सन =से। डरना = दरण भय करना। हाथ = हस्त । कटार= कर्त्तक काटने-वाला। पेट = पिटक = उदर । हनि = हत्वा = हन कर = मार कर। मरना मरण । जंबुदीप = जम्बूद्वीप। जो = यः । चितउर चित्रवर, वा= चित्र पुर चितौर गढ । देसू = देश । चितर-सेन चित्र-सेन । बड = बर = बडा। तहाँ = तत्र। नरेसू नरेश राजा। रतन-सेन = रत्न-सेन । यह श्रयम् । ता कर-तस्य तिस का = उस का। बेटा = वत्स = वेत्र प्राधार = पुत्त्र । कुल वंश। चहुश्रान = चतु:स्थान = चौहान। जादू = जायते। मेटा मार्टि स्म = मिटाया। खाँडे खण्डक काटने-वाला या खाँडा = तलवार। अचल = अटल । सुमेरु = सोने का सब से श्रेष्ठ पर्वत । पहारू प्रहार = पहाड । टर = चलति = टरता है। जउँ यदि = जौं। लाग = लगेत् = लगे । संसारू = संसार! देत = देने में। खाँगा = कम= शुष्क =खुकब = खाली खङ्ग (खजि गतिवैकल्ये)। श्रोहि = तस्मात् = उस से। माँग = माँगहू (याचते)। अवरहि= अपरस्मात् = और से दूसरे से। मांगा = मांगता = जाँचता। दाहिन - दक्षिण = दहिना। उठाउँ= उत्थापयामास उठाया। ताही तिसे = उसे । को कः = कौन। अस = एतादृश = ऐसा । बरभावउँ= वरं भावयेयम् = आशीर्वाद देऊँ । नाउँ= नाम = नाव। महापातर = महापात्र। मोहि = मम = मेरा । क= का। भिखारौ भिचुक। ढौठ = पृष्ठ ढौठा। खरि= खरी सच्ची बात कहत = कथयतः = कहने से। रिस =रोष = क्रोध । (लागद)= लगति लगती है। खरिश्रद = खरो-ही = मच्ची-हौ। कहहिँ = कथयन्ति = कहते है। बसौठ = दूत = वशिष्ठ ॥ (भाट बोला कि) जौं राजा गन्धर्ब-सेन हूँ सच पूछता है (तो मैं ) निश्चय कर सच कहता हूँ, (उस सच के कहने से मेरे ऊपर ) बिजली क्यों न पडे ( पर मैं सच =खर। वार्ता। 1
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