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२७२] सुधाकर-चन्द्रिका। ५८ वह कच्छप (भौ मुझ से ) डरता है। मुझ से धरती, मन्दर और मेरु डरते हैं, आकाश में चन्द्र, सूर्य और कुवेर डरते हैं। चाह तो (शिर के ) बाल पकड कर सब को (पटक कर ) तोड डालूं ( मार डालूं)। (जब मैं इन लोगों को कुछ नहीं समझता, तो) और (मेरे सामने ) कौडे, फतंगे ऐसे राजा लोग कौन हैं ॥ (राजा गन्धर्व-सेन को अभिमान भरी बात को सुन कर) भाट बोला कि राजा गन्धर्व-सेन, सुन, जौ में गर्व नहौं मोहता। भीम (जिसे अपने बल का बहुत हौ अभिमान था ) कुम्भकर्ण की खोपडी में डूबते डूबते बच गया ॥ कश्यप को अदिति स्त्री से जो पुत्र हुए वे देवता कहाते हैं। उन में सब से जेठा इन्द्र, देवताओं का राजा, अमरावती नगरी में रहता है। पुराणों में प्रसिद्ध कथा है कि जो पृथ्वी का राजा मौ अश्वमेध करे वह इन्द्र हो जाय । दसौ लिये जब किमी राजा को ८ (अश्वमेध यज्ञ पूरी हो जाती है, तब इन्द्र डर कर मौवें अश्वमेध में विघ्न करता है जिस में वह पूरी न हो। कृष्ण की कथा श्रीमद्भागवत में प्रसिद्ध है। इन के पिता वसु-देव और माता कंस को बहिन देवकी हैं । ब्रह्मा चौरशायौ भगवान के नाभिकमल से उत्पन्न हुआ है। पुराणों में कथा है कि प्रलय काल में भगवान चौर-सागर में पोष के ऊपर सो जाते हैं। फिर जब उन की इच्छा सृष्टि करने की होती है, तब उन को नाभी से एक कमल का वृक्ष उत्पन्न होता है। उस का नाल जब जल के ऊपर आता है तब उस में पुष्य उत्पन्न होता है। उमौ कमल के फूल में सृष्टि करने के लिये ब्रह्मा उत्पन्न होता है। बलि प्रह्लाद का पुत्र है। ऐसा दानी राजा कोई नहीं हुआ। अपने दान और यज्ञ के प्रभाव से इस ने इन्द्र को पदवौ को ले लिया। इन्द्र बहुत दुःखी हुआ। इस पर अदिति के गर्भ से भगवान ने वामन-रूप उत्पन्न हो कर बलि को छल कर, इन्द्र को फिर वर्ग का राजा और बलि को पाताल का राजा बनाया । पुराणों में प्रसिद्ध कथा है। वासुकि के लिये दूस ग्रन्थ का १६५ पृष्ठ देखो। मेघ पानी बरमाने-वाले इन्द्र के अनुचर हैं। ज्यौतिषी लोग अपने पञ्चाङ्ग में नव मेघ लिखते हैं, जिन के नाम-श्रावर्त १ । संवत २ । पुष्कर ३ । द्रोण ४ । काल ५। नौलक ६ । वरुण ७। वायु ८ । तम । ये हैं।