४२० पदुमावति । २० । बसंत-खंड । [१८२ कोइ बिजउर कोइ नरिअर जूरी। कोइ इविलो कोइ महुअ खजूरी ॥ कोई हरिफा-रेउरि कसउँदा। कोइ अउँरा कोइ राइ-करउँदा ॥ काहु गही केरा कइ घउरौ। काहू हाथ परौ निउ-कउरौ ॥ दोहा। काह पाई निअरई काहू खेल भाउ बिख काहू कहँ गइ दूर। काह अंबित-मूर ॥ १६२॥ प्राम= अाम्र। =बहुत । झारा - कमरख काहू = किसी ने । गहौ = गहा (जयाह) का स्त्री-लिङ्ग । आँब डारा = डार = डाल = दाल ( जिस में दल अर्थात् पत्ते रहते हैं )= शाखा = दारु । बिरह वियोग। चाँप चम्पक (चम्पको हेमपुष्पकः, अमरकोशे वनौषधिवर्ग, लो० ४११) । अति = झर = कडुत्रा । नारंग = नारङ्गी। झार = झाडौ। चिरउँजी चिरौंजी। कटहरि = कटहर कण्ट किफल । बडहर = एक प्रसिद्ध फल (वृद्ध फल)। नउजौ = लॉजौ लौची वा लकुट (लकुच)। दारिउँ= दाडिम= अनार। दाख = द्राक्षा = अङ्गुर। खौरौ = खौरिनौ = क्षौरिणौ (जिस के फल में दूध हो) = एक बहुत प्रसिद्ध फल । सदाफर = सदाफल = सदाफलने-वाले । तुरुंज = तरञ्ज = एक प्रकार का निम्बू । जभौरौ = जम्बौर निम्बू । जाइफर = जायफल = जातोफल । लउँग = लवङ्ग । सुपारी सूपारिः = सुफलौ = सोपारी = पूगीफल । एक प्रसिद्ध फल । गुश्रा बङ्गाले को सोपारौ = गुवाकः । छोहारौ = छोहारा - क्षौद्रहर = एक प्रकार का खजूर । विजउर = वौजालय = बिजौडिया निम्बू । नरिअर नारिकेर । जूरौ = जूरिका = अङ्कुर। इविलौ = अम्लिका = चिच्चा । मधूक = महा। खजूरौ = खजूरौ = खजूर । हरिफा-रउरि= हालफा-रेवडी = लवली। कसउँदा = कषायद = कसैला। अवेरा अमलक = आँरा। राद्-करउँदा = राय-करौंदा = राज-कुरु विन्द । केरा = कदली केला । घउरौ = घौर = घवर = घन फल। निउँ-कउरौ= निम-कौडी = निम्ब-कपर्दी = नौम का फल ॥ पाई = पावद् (प्राप्यते ) का प्रथम-पुरुष में भूत-काल का एक-वचन। निअर+= निकटे = नगौच । गद् = गई = गया ( अगात् ) का स्त्री-लिङ्ग । बिख = विष = जहर। अंबित-मूर = अमृत-मूल = अमृत को जड ॥ मऊ= -
पृष्ठ:पदुमावति.djvu/५२६
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।