२८० पदुमावति । १२ । जोगौ-खंड । [१०४ - गोंडवाने के नाम से प्रसिद्ध हैं। और किसी समय में यह सब देश गढ-मण्डला के राज्याधिकार में थे, जहाँ गाँड-लोग राज्य करते थे, और अब भी गाँड-लोग वहाँ बहुतायत से बनते हैं। अंधियार (Anjari) = अकबर के समय बिजय-गढ के २८ महालों में से एक महाल था, जिस का क्षेत्रफल १३७१३ बीघा था, श्रामदनी १७०७० ८ ३ दाम थी। यह नर्मदा के तट पर एक छोटा सा राज्य था। कदाचित् अन्जार नदी के तट पर अब भी इस के खंडहर मिल जो, कि हुशङ्गाबाद और हँडिया के जिले से होती हुई नर्मदा में दक्खिन की ओर से मिलती है। अन्जार का अपभ्रंश अँधियार जान पडता है। आज कल अब दूस का पता नहीं मिलता (See Ain-i-Akbari, Vol. II., pp. 204-206; and, for Anijala river, Hunter's Gazetteer, Vols. V., X., pp. 442 and 327 respectively, under Hoshangābād and Nimār). खटोला 1- का राज्य अँधियार के राज्य से लगा हुथा उत्तर की तरफ था, जिस से आज कल, सागर, दमोह, शाहगढ इत्यादि जिले बने हैं। यह राज्य गढ- मण्डला के राज्य का पश्चिम भाग था। जिस को राजधानी बुन्देल-खण्ड में कहीं शाहगढ के निकट खटोला के नाम से प्रसिद्ध थी। ईशा के ११ वे शतक में यह राज्य गढ-मण्डला के राज्य से अलग हुश्रा जिस को कि १५ वे शतक के अन्त में राजा वौर-सिंह देव ओरछावाले ने नष्ट किया। (See Hunter's Gazetteer, Vol. IV. p. 108, History of Damoh ; Āin-i-Akbarī, Vol. II., p. 200). ATT DE ATT अकबर के समय सूबा मालवा के सर्कार कन्नौज (गढ-मण्डला) के ५७ महालों में से एक महाल था, जिस को श्रामदनौ १२ १ ० ० ० दाम थौ। और अकबर की तरफ से ५०० सवार और ५ ० . ० ० सिपाही रहते थे। उस समय भी यह गाँडों को बस्तो खटोले-हौ के नाम से प्रसिद्ध थी। दूस खटोले से स्पष्ट विदित होता है, कि अनजार हौ ग्रन्थ-कार का अंधियार है। faagt -hanat (See Hamilton's Description of Hindustan, Vol. II., p. 121). उस समय वर्हाड (बरार ) देश को तैलंगाना कहते थे और अब भी वर्हाड तेलंगाना के नाम से इतिहास में प्रसिद्ध है। करह-कटंगा = गढ-कटंग (See History of the Garha-mandala Rajas, by Sleeman, in J. A. S. B., Vol. VI., pp. 621 and also Āin-i-Akbari, Vol. II., pp. 199–200. See also Blochmann's translation, Vol. I., Index). 47 g
पृष्ठ:पदुमावति.djvu/३८६
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।