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१०६] सुधाकर-चन्द्रिका। १८५ दाँत (ऐसे जान पड़ते हैं) जानौँ चौक के ऊपर होरा बैठ हैं (मस-गुर चौक और उज्ज्वल चमकीले दाँत हौरा से हैं)। और (उन दाँतों के ) बीच बीच (शोभा के लिये मिस्सी के लगाने से ) गहिरा श्याम रङ्ग हो गया है। जैसे कालौ भादाँ को रात में बिजली देख पडती है, तैसा-हौ ( पद्मावती के हँस देने से ) बनी हुई बतौसी (बत्तीसो दाँतों की लड) चमक उठती है ॥ यहाँ जनु = यथा =जैसे, ऐसा समझना चाहिए। बहुतों का मत है, कि यथा और तथा का नित्य संबन्ध रहने से 'जस भादउ निसि दाविनि दोसौ' ऐसा पाठ चाहिए। 'बनौ' से यह तात्पर्य है, कि मिस्सौ के लगाने से ऐसौ बतौमी बनी हुई है, जैसे भादाँ को रात में बिजली। (दाँतों को सन्धि सन्धि में बैठी हुई मिस्मौ काली भादाँ की रात है, और उस में चमकते हुए श्वेत दाँत बिजली से हैं ) ॥ वह (दाँतो को) ज्योति जो है सो हौरा के ऊपर है, अर्थात् हौरा को चमक से बढ कर है। हौरा को शरीर में तिस (ज्योति ) की परछाहौँ है, अर्थात् दन्तों के प्रतिविम्ब पड जाने-हो से होरा में कान्ति आ गई है, जिस से वह चमकता है,- ऐसा कवि का श्राशय है। जिस दिन ( पद्मावती को) दन्त-कान्ति बनाई गई, (उसी दिन से ) वह ज्योति बहुतों में ज्योति भई है, अर्थात् उसो दन्त-ज्योति के प्रतिविम्ब से उसी दिन से बहुत पदार्थों में ज्योति आ गई है ॥ (प्रकृति-रूपा पद्मावती-ही की ज्योति से जगत् में सब ज्योतिर्मय है, इस लिये पद्मावती को प्रकृति मानने से आगे की चौपाइयाँ प्रकृति-पक्ष में भी लग जाती हैं )। तिमौ ( दन्त-)ज्योति से रवि, चन्द्र, और नक्षत्र दिप रहे हैं। जितने रत्न पदार्थ माणिक्य, मुक्ता (इत्यादि) हैं, उन में भी वही ज्योति है, अर्थात् उसौ दन्त-कान्ति के प्रतिविम्व- हौ से सब रत्नों में चमक है, जिस से वे दिपते रहते हैं ॥ जहाँ जहाँ ( पद्मावती ने) विहँस कर के (विहास्य = विशेष रूप से हँस कर ), अर्थात् मुख खोल कर सहज स्वभाव- हो से हँस दिया, तहाँ तहाँ वह (दन्त-)ज्योति छटक छटक कर प्रगट हो गई । यहाँ 'बिहमि' के स्थान में 'बिगसि' यदि हो तो बहुत-ही उत्तम । तब 'पद्मावती ने विकसित हो कर, अर्थात् मुख खोल कर जहाँ जहाँ स्वभाव-ही से हँस दिया' ऐसा स्पष्ट अर्थ उत्पन्न हो जाता है॥ (जिस दन्त-कान्ति को) बराबरी में बिजली की, चमक न पूरी पडौ, (भला) फिर (पुनि = पुनः ) उस ज्योति के ऐसा दूसरा कौन हो, अर्थात् उस ज्योति के सदृश वही ज्योति है, दूसरा ऐसा कोई नहीं जो ज्योति में इस ज्योति को बराबरी कर सके । 24