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पदुमावति । 8 । मानसरोदक-खंड । कमल ने पद्मावती के आँख को जो देखा, तो उस को (कमल कौ) शरीर निर्मल हो गई, अर्थात् उज्ज्वल-नेत्र-दर्शन से वह भी उग्चल हो गया। हंस ने जो पद्मावती को हँसते देखा तो उस को शरीर निर्मल हो गई, अर्थात् उज्वल-सुधा-रूप पद्मावती के हाँसौ के दर्शन से हंस को शरौर उज्ज्वल हो गई। पद्मावती के दाँत को ज्योति से होरे नग में ज्योति श्रा गई है, अर्थात् पद्मावती के दन्त-ज्योति का प्रतिबिम्ब पड़ने से हौरा नग चमकता है ॥ ६ ॥ = इति नसरोदक-खण्डं नाम चतुर्थ-खण्डं समाप्तम् ॥ ४ ॥