पत्थर युग के दो वुत ४६ . नही हँसते है । वस ज़रा-सा मुस्कराकर रह जाते हैं । आफिस का काम बहुत वढ गया है, वहुत देर मे आते है, पर फिर चले जाते है । पूछती हू- डंडी, अब आप मेरे साथ ताश नही खेलने, वाते नही करते-तो ज़रा-सा हँसकर कुछ बहाना कर देते हैं । वहाने की बातें मैं समझती हू, अच्छी तरह समझती हू । कुछ वात है उनके दिल मे, जिसे छिपाते हैं । शायद वे ममी से दुखी है। एक दिन मैंने उनसे कहा था "डैडी, आप ममी से बोलते क्यो नहीं हैं ? उनके पास बैठते क्यो नही है ? पहले तो ऐसा नही था । जव अापका आफिस से आने का वक्त होता था तो ममी परेशान हो जाती थी। स्वय नाश्ता लगाती थी । मुझसे तकाजा करके कपडे बदलवाती थी, ग्राप भी नई साडी पहनती, वाल वनाती और गुनगुनाती हुई वार-बार घटी की योर देखती रहती थी। हर मिनट पर कहती थी-'तेरे डैडी ने ग्राज इतनी देर कर दी। अभी तक नही आए।' पर अव तो ऐसा नहीं होता । मव- कुछ नौकरो पर छोड दिया है उन्होने । जैसे आपमे उनकी कोई दिलचस्पी ही नही रही । आप पाते है तो किसी बहाने से कही खिसक जाती है।" हँसकर मेरी बात सुनकर डैडी ने मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, "तेरी वात ठीक है लीला । उनको अव मझ मे दिलचस्पी नहीं रही। मैं पुराना हो गया । लेकिन तू तो मेरा बहुत रयाल रखती है, तू वडी अच्छी वेटी है।" वस वात कहते-कहते उनकी हंसी गायब हो गई, यार में देखती रह गई । मगर अव तो कुछ-कुछ मैं समझ रही है । इन वर्मा साव की वात, डंडी उनका पाना पसन्द नहीं करते । फिर उन्हें पाने को मना क्यो नहीं न करे वे, मैं मना कर द्गी। हम तीन पादमी घर मे है । म हू, डैडी है, ममी है । बस, चाँये की क्या जरूरत है । नहीं, नहीं, दिलबुल ज़रूरत नहीं है, मै अाज डैडी से वगी । सब वात कही। - - ? कर देते
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पत्थर-युग के दो बुत