पत्थर-युग के दो बुत मेरा मन भी उसके लिए दुखी हुा । पर अब किया क्या जा सकता है। क्या उससे व्याह कर लू दत्त ने नव कुछ नाफ-साफ कह द नही-नही, यह अभी ठीक नही होगा। नोच-ममनकर ही में प्राता कदम उठाऊगा। 2