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पत्थर-युग के दो बुत
 

पत्यर-युग के दो बुत - भला मेरी रेखा ऐसी कहा है । एक स्त्री चित्रिणी होती है-चाल उसकी मन को लुभाती है, कद मध्यम होता है । जघन-स्थल विशाल और शरीर दुवला-पतला होता है। होठ भरे हुए, काक जघा, तोन रेखाग्रो वाला कण्ठ, चकोर के समान कठ- म्बर, ललित कलाओ मे रुचि, रोम कम, चचल स्वभाव, चपल दृष्टि, बनाव-शृगार मे रुचि । ये चित्रिणी के लक्षण हैं। रेखा चित्रिणी भी नही है । वह पद्मिनी है। पद्मिनी के तक्षण उसमे मिलते है । पमिनी स्त्री कमल के ममान कोमलागी, शरीर और रतिजल मे दिव्यगन्ध, चकित हरिणी के ममान पाने, नेयो के किनारे लाल, श्रीफल-से गोल उरोज, तिल के फूल के ममान नामिका, यद्वावती, सलज्जा, कमल-पुप्प के समान सुन्दर काति- पापी, म्पकवरी, बरहरे शरीरमाली, जिसकी चाल राजहसिनी की भागि, सिमके उदर मे निबली पडती हो, कलहस के समान जिसकी पागी म पुर हो तन-मन में पवित्र, साफ-शुद्ध रहनेवाली। मानिनी, लज्जा- सी, अपभापिणी, श्वेत रग के फूलो को पसद करनेवाली स्त्री पद्मिनी होती है। मेरी रेखा माक्षात् पमिनी जाति की स्त्री है। रहा है कामदेव के पाच बाण है---प्रकार, दकार, उकार, एकार, ग्रोकार। मग इनके लक्ष्य है--हृदय, बदा, नयन, मम्ता और गुह्य- ध्यान । दन ममम्याना पर नयनम्बप पनुग को तानकर दृष्टिलप वारण- नि प सरन ने स्त्री वशीभूत हो जाती है। प्रतिकूल स्त्री को अनुकूल रत्न, अनूकन न्त्री को प्रेमी-अनुरागिनी बनाना और अनुगगिनी- अनुरता से पति-प्रानन्द की प्राप्ति करना-यही कामशास्त्र का गढ विषय है। -चेतन पर ने गिनी हर निकर की तरल जनधारा के ममान म प्रबाही ननार मनार पदा कामानन्द है, और मार्ग शब्द, स्पर्श, रूप, रन, गन्यादि वासना-नम्ह उनी पपीन है। ब्रह्मानन्द ममान उम नह न मानन्द साई मन्दबुद्धि, न म काम-लामो पी पिपिता को न नेत्राता कोर्दन किन प्रकार प्राप्त कर सकता है। नने निवासी जाति की चर्चा की है। प्रत्येक जाति पी म्बी का