क०५, 1-105६,१-९,७,१-५] वीसमो संधि हय पक्खरिय पजोत्तिय सन्दण - णिग्गय वरुणहों केरा णन्दण ॥४ पुण्डरीय-राजीव धणुद्धर वेलाणल-कल्लोल-वसुन्धर ॥५ तोयावलि-तरङ्ग-बगलामुंह वेलन्धर-सुवेल-वेलामुह ॥६ सञ्झा-गलगजिय-सञ्झावलि जालामुह-जलोह-जालावलि ॥७ जलकन्ताइ अणेय पधाईय सरहस आहव-भूमि पराइय ॥८ विरऍवि गरुड-बूहु थिय जाहिँ वइरिहिँ चाव-चूहु किउ ताहि ॥९ ॥ घत्ता॥ अवरोप्परु वरियई मच्छर-भरियइँ दूरुग्घोसिय-कलयल। रोमश्व-विसई रणे अभिट्ट वे वि वरुण रावण-वलइँ ॥ १० [६] किय-अङ्गइँ उल्लालिय-खग्गई रावण-वरुण-वलइँ आलग्गइँ ॥१ गय-घड-घण-पासेइय-गत्तइँ कण्ण-चमर-मलयाणिल-पत्तइँ॥२ इन्दणील-णिसि-णासिय-पसर सूरकन्ति-दिणं-लद्धावसरई॥३ उक्खय-करिकुम्भत्थल-सिहर कड्डिय-असि-मुत्ताहल-णियरइँ॥४ पम्मुक्केकमेक करवाला दस-दिसिवह-धाईय-कीलालइँ ॥५ गय-मय-णइ-पक्खालिय-घीय णच्चाविय-कवन्ध-संघीय ॥ ६ ताव दसाणणु वरुणहाँ पुत्तेहिँ वेढिउ चन्दु जेम जीमुत्तेहिं ॥ ७ केसरि जेम महांगय-जूहहिँ जीउ जेम दुकम्म-समूहहिँ ॥८ घत्ता॥ भुवण-भयावणु भमइ अणन्तऍ वइरि-वलें।" स-णियम्वु स-कन्दरु णाई महीहरु मैत्थिजन्तऍ उवहि-जलें ॥९ [७] ताम वरुणु रावणहाँ वि भिच्चेंहिँ विहि-सुअ-सारण-मय-मारिचेहिँ ॥ १ हत्थ-पहत्थ-विहीसण-राऍहिँ इन्दइ-घणवाहण-महकाऍहिँ ॥२ अङ्गङ्गय-सुग्गीव-सुसेणेहिँ तार-तरङ्गरम्भ-विससेणेहि ॥३ कुम्भयण्ण-खर-दूसण-वीरेंहिँ जम्वव-णल-णीलेंहिँ सोण्डीरोहि ॥४ ढिउ खत्त-धम्मु परिसेसेवि तेण वि सरवर-धोरणि पेसेवि ॥५ 2 P A पजोतिय. 3 Ps पुंडरीव. 4 PA वेलामुह. 5 s संज्मावलिगजिय. 6 A जलोलि. 7 Ps जलुकंताइ. 8 A पधाविय. 6. 1 s पचोइय'. 2 A सूरकत. 8 P °दिणे, s दिणि. 4 s घाइय. 5 s संघाय. 6 Ps महग्गय . 7 P एकेडउ, 8 एकिलउ. 8 A मस्थितऍ. 9 P उमहि', A उवहिं.. [१] १ भरक्षाणि. २ नृवड (निविड ? ). ३ सुगन्धवातम्. ४ मेघै।. ५ कटिनी. ६ ग्रहा. वेष्टितः. एकल्लउ रावणु 25
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