पउमचरित [क०,३-10001-14,1-1 चुम्वेवि उंचोलिहिं वइसारिज वारवार पुणु साहुक्कारिज ॥३ 'धण्णउ पवणु जासु तुहुँ णन्दणु भरहु जेम पुरएवंहों णन्दणु' ॥४ एम कुसलं-पिय-महुरालाहिं कङ्कण-कश्चीदाम-कलावहिँ ॥५ तं हणुवन्त-कुमार पपुजेवि वरुणहाँ उपरि गउ गलगजेंवि ॥६. • वेलन्धर-धरै मुर्क पयाणउ थिउ वलु सरयब्भ-उल-समाणउ ॥७ कहि मि सम्वु-खर-दूसण-राणा कहि मि हणुर्व-णल-णील-पहाणा ॥८ कहि मि कुमुअ-सुग्गीवङ्गङ्गय णं थिय थडेहिँ मत्त महागय ॥९ ॥घत्ता॥ रेहइ णिसियर-वलु वड्डिय-कलयलु थडेंहिँ थडेंहिँ आवासियउ । णं दहमुह-केरउ विजय-जणेरउ पुण्ण-पुछुपुछेहिँ थियउ॥१० [४] तो एत्थन्तरें रणे णिकरणहाँ चर-पुरिॐहिँ जाणाविउ वरुणहाँ ॥१ 'देव देव किं अच्छहि अविचलु वेलन्धरें आवासिउ पर-वलु' ॥२ चारहुँ तणउ वयणु णिसुणेप्पिणु. वरुणु णराहिउ ओसारेप्पिणु ॥३ ॥ मन्तिहिँ कण्ण-जाउ तहाँ दिजइ 'केर दसाणण-केरी किज्जइ ॥४ जेण धणउ समरङ्गणे वङ्कित तिजगविहूसणु वारणु वसिकिउ ॥ ५ जें अट्ठावउ गिरि उद्धरियर माहेसर-बंइ णरवइ धरियउ ॥ ६ जेण णिरत्थीकिउ णल-कुवरु ससहरु सूरु कुवेरु पुरन्दरु ॥७ तेण समाणु कवणु किर आहउ केर करन्तहुँ कवणु पराहउ ॥८ ॥ घत्ता॥ तं णिसुणेवि दुद्धरु वरुणु धणुद्धरु पजलिउ कोव-हुवासणेण । 'जइयहुँ खर-दूसण जिय वेण्णि मि जण तइउ काइँ किउ रावणेण' ॥९ [५] एव भणेवि भुवणे जस-लुद्धउ सरहसु वरुणु राउ सण्णद्धउ ॥ १ - करि-मयरासणु विप्फुरियाहरु दारुण-णागपास-पहरण-करु॥२ ताडिय समर-भेरि उब्भिय धय सारि-सज्ज किय मत्त महागय ॥३ 2 PS अच्छोलिहिं. 3 A पुरुएवा. 4 PS कुसलु. 5 P तुरालावहि. 6 3 सइ. 7 Ps वेलंधरे. 8 A मुकु. 9 Ps हणुभ. 4. 1P वरुण. 2 s तिजय. 3 P रावणु. 4 A णराहिउ उद्धरियड. 5 करंड, 8 करतहु. 6 P 8 °हुभासणेण. 7 P तहमहं, तइयह. 8 P राम्बणेण, 5. 18 भुवेणे, A भुषण. [५] वारी. 20
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