10 18 ..-10501-10] एगुणवीसमोसंधि [१६] एकु जोहु संपेसिउ पासु दसासहो । अक-सकतइलोक-चक-संतासहो ॥१ अवरेकु विहि मि खर-दूसणहुँ पायाललक-परिभूसणहुँ ॥२ अवरेक कइद्धय-पत्थिवहाँ सुग्गीवहाँ किकिन्धाधिवहाँ ॥३ अवरेक किकुपुर-राणाहुँ णल-णीलहुँ पमय-पहाणाहुँ ।। ४ अवरेक महिन्द-णराहिवहाँ तिकलिङ्ग-पहाणहाँ पत्थिवहाँ ॥५ अवरेकु धवल-णिम्मल-कुलहों पडिसूरहों अक्षण-माउलहों ॥ ६ दूवत्तएँ पत्तएँ गीढ-भय हणुवन्तहों मायरि मुच्छ गय ॥७ अहिसिञ्चिय सीयल-चन्दणेण पड वाइय वर-कामिणि-जणेण ॥e आसासिय सुन्दरि पवण-पिय णं थिय तुहिणाहय कमल-सिय ॥९ ॥ धत्ता। ताम 'विधीरिय माउलॅण 'मा माएँ विसूरउ करि मणहाँ। सिद्धहाँ सासय-सिद्धि जिह तिह पइँ दक्खवमि समीरणहाँ ॥ १० [१७] पुणु पुणो वि धीरेप्पिणु अञ्जणसुन्दरि । णिय-विमाणे आरूढ णराहिव-केसरि ॥ १ गउ तेत्तहें जेत्तहें केउमइ अण्णु वि पल्हाय-णराहिवइ ॥२ णरवर-विन्दाइँ असेसाई 'मेलेप्पिंणु गयइँ गवेसाइँ ॥३ तं भूअरवाडइ दुक्काइँ घण-उलइँ व थाणहों चुकाइँ ॥४ पवणञ्जउ जहिँ आरुहेवि गउ सो कालमेहु वणे दिगु गउ ॥५ उद्धाइउ उकरु उबयणु तण्डविय-कण्णु तम्बिर-णयणु ॥६ तं पाराउट्ठा करेंवि वलु गउ तहिँ जें पडीवउ अतुल चलु ॥७ गणियारिउँ ढोइय वसिकियउ णव-णलिणि-सण्डे भमरु व थियउ॥८ किङ्करेंहिँ गवेसन्तेहिं वणे लक्खिउ वेल्लंहले लया-भवणे ॥९ जोकारिउ विजाहर-सऍहिँ जिह जिणवर सुरहि समागऍहि ॥ १० 16. 1PS दूसणाहं. 2 PS परिभूसणाह. 3 किकपुर. 4 P S भवरेक. 5 Ps "कुलणिम्मलहो. GA दुम्वत्सए. 7 P हणुर्भतहो. 8 A विहीरिय. 9 PS पहंजणहो. 17. 1 °वंदाई. 2 PA मेल्लेप्पिणु, s मिलेपिणु. 3 5 सो उकरवयणु. 4 तंदु विश्व. 5 P 8 गणियारि पढोय. GPS सई. 7PS वि. 8 PS वेल्लहल. १६], विशेषेण धीरिता. १७] १ मेलापकं कृस्वा. २ हस्तिनी. 20 28 पउ.चरि.21
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