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२४३ पउमचरिउ [01-10-4 [११] जाउ महन्तु आहवो 'विहिं विहिं जणाहुँ । इन्दइ-इन्दतणयहुं इन्द-रावणाहुं ॥१ रयणासव-सहसार-जणेरहुँ मय-भेसई-मारिच्च-कुवेरहुँ ॥२ 'जम-सुग्गीवहुँ दूसम-सीलहुँ 'अणल-णलहुँ पलयाँणिल-णीलहुँ ॥ ३ ससि-अङ्गय दिवायर-अङ्गहुँ खर-चित्तहुँ दूसण-चित्तङ्गहुँ ॥४ सुअ-चमूहुँ वीसावसु-हत्थहुँ सारण-हरि-हरिकेसि -पहत्थहुँ ॥५ कुम्भयण्ण-ईसाणणरिन्दहुँ विहि-केसरिहि विहीसण-खन्दहुँ ॥ ६ घणवाहण-तडिकेसकुमारहुँ मल्लवन्त-कणयहुँ दुवारहुँ ॥७ जम्बुमालि-जीमुत्तणिणायहुँ वजोयर-चजाउहरायहुँ ॥८ वाणरधय-पञ्चाणणचिन्धहुँ एम जुज्झु अन्भिनु पसिद्धहुँ ॥ ९ ॥ घत्ता॥ 18 करि-कुम्भ-विकत्तणु गोलिय-तणु जो रणे जासु समावडिउ । सोतासु समच्छरु तोसिय-अच्छरु "गिरिहें दवग्गिव अभिडिउ ॥१० [१२] को वि किवाण-पाणिए सुरवहू णिएवि । ण मुअइ मण्डलग्गु पहरं समल्लिएवि ॥१ को वि णीसरन्तन्त-चुन्भलो भमइ मत्त-हत्थि व स-सङ्खलो ॥२ को वि कुम्भि-कुम्भयल-दारणो मोत्तिओह-उज्जलिय-पहरणो ॥३ " को वि दन्त-मुसलुक्खयाउहो धाइ मत्त-मायग-सम्मुहो। ४ को वि खुडिय-सीसो धणुद्धरो वलइ धाइ विन्धइ स-मच्छरो ॥५ को वि वाण-विणिभिण्ण-वच्छओ वाहिरन्तरुच्चरिय-पिच्छओ॥६ सोणियारुणो सहइ णरवरो रत्त-कमल-पुञ्जो व सं-भमरो ॥७ को वि एक-चलणे तुरङ्गमे 'हरि व वित्थिओ ण भरिए कमे ॥८ को वि 'सिरउडे करेंवि करयले जुज्झ-भिक्ख मग्गेइ पर-चले ॥९ 25 11. 18 °भेसहु.2 °मारीच. 3 " खरदूसणचित्तहु चित्तंगहु. 4 PS °चमूह, A बखू९. 5 A 'करिकेसि. 6 s गिरिहिं. 7 A देवग्गि. 12. 1 PS मंडलग्ग. 2 A समण्णिवि. 3 A °चुंभलो. 4 PSA मुसकक्खया. 5 PS पिच्छउ, A °पिच्छओ. 6 1 5 महुअरो. 7 A 'चलणो तुरंगमो. 8 A करि. 9 सिरभिउलि. [१९] १ द्वौ द्वौ सुमटानां संग्रामो जातः. २ अनेः. ३ पवनः. [१२] १ विष्णु-इव, यथा पादे स्थितः बलि-दान-प्रस्तावे. २ मस्तकपुढे.