पउमचरित [क....100२,14 [१७. सत्तरहमो संधि] दुऍ णियत्तएँ उभय-वलहँ अमरिसु चडा सुरवर-डामरु रावणु इन्दहों अभिडह॥ मन्तणऍ समत्तएँ तइलोक-भयङ्कर किय करि सारि-सज पक्खरिय तुरय-थट्टा उब्भिय धय-णिहाय स-विमाण रह पयट्टा ॥ १ आहय समर-भेरि भीसावणि सुरवर-वइरि-वीर-कम्पावणि ॥२ हत्थ-पहत्थ करेंवि सेणावइ दिण्णु पयाणउ पचलिउ परवइ ॥३ कुम्भयण्णु लकेस-विहीसण णल-सुग्गीव-णील-खर-दूसण ॥ ४ "मय-मारिच्च-भिच-सुअसारण अगङ्गय-इन्दइ-घणवाहण ॥५ रण-रसेण मिज्जन्त पधाईय णिविसें समर-भूमि संपावियं ।। ६ पश्चहिँ धणु-सएहिँ पहु देप्पिणु रिउ-बूहहों पडिवूहु रएप्पिणु ॥७ णिवडिउ जाउहाण-वलु सुर-चलें पहय-पडह-परिवड्डिय-कलयलें ॥८ जाउ महाहउ भुवण-भयङ्करु उहिउ रउ मइलन्तु दियन्तर ॥९ ॥ घत्ता ॥ णर-हय-गय-र्गत्तइँ रह-धय-छत्तइँ संवइँ खणे उद्धूलियई। जिह कुलई दुपुत्तें तिह वहन्तें वेणि वि सेण्णइँ मइलियइँ॥१० 15 विन्भम-हाव-भाव-भूभङ्गुरच्छरोइं । जायइँ सुर-विमाणइं धूलिधूसराई ॥ १ ताव हेइ-घट्टणेण करालउ उच्छलियउ सिहि-जाला-मालउ ॥२ सिवियहि छत्त-धऍहिँ लग्गन्तिउ अमर-विमाण-सयाइँ दहन्तिउ ॥ ३ 1. 1 A reads the following Sk. stanza in the beginning of this Sandhi : सावद् गर्जन्ति तुझाः करटपट()लाजानपीरा(१)वंगण्डा -मातदन्तक्षतगुरुगिरयो भन्ननानादुमौषाः ॥ लीलोद्धतैलतार्निजयुवतिकरैः सेव्यमाना यथेष्टं । पावलो कुम्भिकुम्भस्खलदलनपटुः केसरी संप्रयाति ॥ 2 A पराइय. 3 A संपाइय. 4 P रिबु. 5A पत्तई. 6 s (marginally), A तिम्मि नि(विणि वि) खणे ओणलियई. 2. 17 भंगुरवरच्छराई, s भंगुरवरच्छरई, A मंगुरधुराई. 2 भूसरई, मेसाई, पूलीसराइं. 8 PS सिविएहि. [१] भयाण(न)क. २ मन्त्री.
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