पडमचरित [2.6,1-९९, 1-1. [८] ते वयणे मुकु विसुद्ध-भइ माहेसर-पवर-पुराहिवइ ॥१ णिय-णन्दणु णियय-थाणे थवेवि परियणु पट्टणु पय संथवेवि ॥२ णिक्खन्तु खणखें विगय-भउ रावणु वि पयाणउ देवि गउ ॥ ३ 'परिपेसिउ लेहु पहाणाहों अणरण्णहाँ उज्झहे राणाहों ॥४ मुह-वत्त कहिय 'दहमुहेंण जिउ लइ सहसकिरणु तव-चरणे थिउ ॥५ तं णिसुणेवि गरवइ हरिसिया ईसीसि विसाउँ पदरिसियउ॥६ संगाम-सहासेंहिं दूसहहों सिय सयल समप्पेंवि दसरहहों ॥ ७ सहसत्ति सो वि णिक्खन्तु पहु अण्णु वि तहों तणउ अणस्तरहु ॥८ । घत्ता ॥ ताम सुकेसेंण लकेसेंण जमहर-अणुहरमाणउ । 'जागं पणासेवि रिउ तासेंवि मगहँहँ मुकु पयाणउ ॥९ [९] णारउ घीरेंवि मरु वसिकरेंवि तहों तणिय तणये करयले धरैवि ॥१ " णव णव संवच्छर तेत्थु थिर्ड पुणु दिण्णु पयाणउ मगहु गउ ॥२ "पेक्वेवि रावणु आसकिय महु महुरपुराहिउ वसिकियउ॥३ जसु चमरें अमरें दिण्णु वरु सूलाउहु सयलाउर्ह-पवरु ॥ ४ णिय तणय तासु लाएवि करें थिउ णवर गम्पि कइलास-धरें ॥५ मन्दाइणि दिट्ठ मणोहरिय ससिकन्त-णीर-णिज्झर-भरियं ॥६ "गय-मय गइँ मइलिय-उभय-तड स-तुरङ्गम-कुञ्जर हाय भड ॥७ वन्देप्पिणु जिणवर-भवणाई दहमुहु दक्खवइ णिवाणाइँ॥८ 'इह सिद्ध सिद्धि-मुहकमल-अलि जिणवरु भरहेसरु वाहुवलि ॥९ ॥ पत्ता ॥ एत्थु सिलासणे अत्तावणे अच्छिउ वालि-भडारउ । जसु पय-भारेण गरुयारण हउँ किउ कुम्मायारउ' ॥ १० 8. 1 ठाणे ठेवेवि. 2 विसार वि. 3 A जगु. 4 A णासेवि. 5A विसेदि. 68 गंगह. 9. 1PS धीय. 2A ठिड. 3A पुणु विष्ण पसनर नहो रमिउं. 4 A transposes the Padas of this line. 5A समरे. 6 PSA मुलाउहु.7 पिय. 8 PS मणोहरिए. 9 भरिए. 10 PS भातावणे. । [८] यज्ञं विध्वंस. [१]१ गा.
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