पउमचरिउ [क०३,१-९,४,१-१ 5 दीसइ तेण वि सहसत्ति वाल दीसन्ति चलण-णेउरं रसन्त दीसइ णियम्वु मेहल-समग्गु दीसइ रोमावलि छुडु चडन्ति दीसन्ति सिहिण उवसोह" देन्त दीसइ पप्फुल्लिय-वयण-कमलु दीसइ सुणासु अणुहुअ-सुअन्धु दीसइ णिडालुं सिरं-चिहुर-छण्णु णं भसले अहिणव-कुसुम-माल ॥१ णं महुर-राव वन्दिण पढन्त ॥२ णं कामएव-अत्थाण-मगुं॥३ णं कमण-वाल-सप्पिणि ललन्ति ॥४ णं उरयलु भिन्दवि हत्थि-दन्त ॥ ५ णीमासामोयासत्त-भसलु ॥ ६ णं णयण-जलहों किउ सेउ-बन्धु ॥ ७ मसि-विम्वु वणव-जलहर-णिमण्णु ॥८ 10 ॥ घत्ता ॥ परिभमैइ दिहि तहों तहिं जे तहिं अण्णहिँ कहि" मि ण थक्कइ । रस-लम्पड महुयर-पन्ति जिम केयइ मुऍवि ण सकइ ॥ ९ [४] दहगीव-कुमारहों लहेंवि चित्तु एत्यन्तरें मारिच्चेण वुत्तु ॥१ 15 'वेयड्डहाँ दाहिण-सेढि-पवरु णामेण देवसंगीय-णयलं ॥२ तहिं अम्हइँ मय-मारिच्च भाय रावण विवाह-कज्जेण आय ॥३ लइ तुज्झु जें जोग्गउ णारि-रयणु उद्दुटुं देव करें पाणि-गहणु ॥ ४ एउ जें मुहुत्तु णक्खत्तु वारु जं जिणु पञ्चक्खु तिलोय-सारु ॥५ कल्लाण-लच्छि-मङ्गल-णिवासु सिव-सन्ति-मणोरह-सुह-पयासु ॥६ ॥ तं णिसुणेवि तुटुं" दहमुहेण कि तक्खणे पाणिग्गहणु तेण ॥ ७ जय-तूरहिं धवलहिं मङ्गलेहि कञ्चण-तोरणेहिँ समुज्जलेहिं ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ तं वहु-वरु णयणाणन्दयरु विसइ सयंपहु पट्टणु । णं" उत्तम-रायहंस-मिहुणु पप्फुलिय-पङ्कय-व(य)] ॥९ 3. | दीसंत. चलणे णेर. A रूवराय. 4 A पादंति. 5 rs णियंव मेहलसमग्ग. G's "मग्ग, 7 चलति. 8A माल. 9 s सिहिणि. 10 A उवसो दित. 11 A उरयडु. 12 ! "सुगंधु. 121 सेयवंधु. 1 + 5 गिट्टालु. 15 15 सिरु. 16 चुव. 17 लिसण्णु. 18 परिभमहि, A परिभमई. 19 A कहिं मि. 20A जिह. 21 केयइं, केअह. 4. 1 वेयढहो, .. वेयट्टहो. 2 A नवरु. 31 अम्हहिं, : अम्हे हिं. 4 A उद्बुट्टि. 5 PSA करि. G" : जि.: णवत्त. 8 : जि. 9 s मत्ति'. 10 11 : "मणोहर'. 115 तुहि. 1:Aniissing. BA विसयइ. 14 s सं. 15 5 पफुलिय. 1G PS A वयणु,
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