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११.
दूरदर्शी बनो

'यद्भविष्यो विनश्यति'


'जो होगा देखा जायगा'
कहने वाले नष्ट हो जाते हैं।

एक तालाब में तीन मछलियाँ थीं; अनागत विधाता, प्रत्युत्पन्नमति और यद्भविष्य। एक दिन मछियारों ने उन्हें देख लिया और सोचा—'इस तालाब में खूब मछलियां हैं। आज तक कभी इसमें जाल भी नहीं डाला है, इसलिये यहाँ खूब मछलियाँ हाथ लगेंगी।' उस दिन शाम अधिक हो गई थी, खाने के लिये मछलियां भी पर्याप्त मिल चुकी थीं, अतः अगले दिन सुबह ही वहाँ आने का निश्चय करके वे चले गये।

'अनागत विधाता' नाम की मछली ने उनकी बात सुनकर सब मछलियों को बुलाया और कहा—"आपने उन मछियारों की बात सुन ही ली है, अब रातों-रात ही हमें यह तालाब छोड़कर दूसरे तालाब में चले जाना चाहिये। एक क्षण की भी देर करना उचित नहीं।"

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