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१२.
मूर्खमंडली

'सर्वे वै मूर्खमंडलम्'


अचानक हाथ में आये धन को अविश्वासवश
छोड़ना मूर्खता है। उसे छोड़ने वाले मूर्ख-

मंडल का कोई उपाय नहीं।

एक पर्वतीय प्रदेश के महाकाय वृक्ष पर सिन्धुक नाम का एक पक्षी रहता था। उसकी विष्ठा में स्वर्ण-कण होते थे। एक दिन एक व्याध उधर से गुज़र रहा था। व्याध को उसकी विष्ठा के स्वर्णमयी होने का ज्ञान नहीं था। इससे सम्भव था कि व्याध उसकी उपेक्षा करके आगे निकल जाता। किन्तु मूर्ख सिन्धुक पक्षी ने वृक्ष के ऊपर से व्याध के सामने ही स्वर्ण-कण-पूर्ण विष्ठा कर दी। उसे देख व्याध ने वृक्ष पर जाल फैला दिया और स्वर्ण के लोभ से उसे पकड़ लिया।

उसे पकड़कर व्याध अपने घर ले आया। वहाँ उसे पिंजरे में रख लिया। लेकिन, दूसरे ही दिन उसे यह डर सताने लगा

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