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शर्मा की कहानियाँ संसार की सबसे पुरानी नहीं तो सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ अवश्य हैं।

प्रोफ़ेसर मूरले ने पञ्चतन्त्र व हितोपदेश की भूमिका लिखते हुए लिखा था—

"It comes to us from a far place and time, as a manual of worldly wisdom, inspired throughout by the religion of its place and time................every fable of Panchtantra can still be applied to human character; every maxim quoted from the wisemen of two or three thousand years ago, when parted from the local accidents of form, might find its time for being quoted now in church or at home."

"सारांश यह कि पंचतन्त्र के नीति-वाक्यों में सांसारिक ज्ञान का जो कोष है, वह समय और स्थान की दूरी होने पर भी सदैव उपयोगी है। पंचतन्त्र की प्रत्येक कहानी आज भी मानव-चरित्र का सच्चा चित्रण करती है और उसमें लिखे गये दो-तीन हज़ार वर्ष के पूर्व के नीतिवाक्य आज भी मानवमात्र का पथ-प्रदर्शन कर सकते हैं; आज भी उनका प्रवचन घरों व गिरजाघरों में हो सकता है।"

अन्य विदेशी विद्वानों ने भी पंचतन्त्र की कथाओं और उसके नीतिवाक्यों की मुक्तकंठ से प्रशंसा की है। फिर भी हमारे देश के लाखों शिक्षित व्यक्ति ऐसे हैं जिन्होंने 'पंचतंत्र' का नाम नहीं सुना है।

अपने साहित्य के प्रति यह उदासीनता अब अक्षम्य है। स्वाधीनता-प्राप्ति के बाद अपने साहित्य को उचित आदर देना हमारा कर्त्तव्य हो गया है। पंचतन्त्र को भारतीय साहित्य-मन्दिर की प्रथम सीढ़ी कहा जा सकता है।

यह पुस्तक उसी पंचतन्त्र का सरल हिन्दी रूपान्तर है। इस पुस्तक में नीति-भाग को साररूप से कहकर कथा-भाग को मुख्यता दी गई है। कुछ कहानियों में विक्षेप होने के कारण उन्हें छोड़ भी दिया गया है।

—सत्यकाम विद्यालङ्कार