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अङ्क ३]
[दृश्य २
न्याय
डाक्टर
कम से कम एक दर्जन के लिए। केवल ज़रा घबड़ाहट है और कोई बात स्पष्ट नहीं है। यही देखो न।
[ओक्लियरी की कोठरी की ओर इशारा करके]
इसकी भी हालत यही है। अगर मैं लक्षणों को छोड़ दूँ तो कुछ कर ही नहीं सकता। ईमान की बात यह है कि मैं कोई खास रियायत नहीं कर सकता। वज़न में कुछ घटा नहीं है। आँखें ठीक हैं, नब्ज़ भी ठीक है। बातें बिलकुल होश की करता है। और अब एक हफ्ता तो रह ही गया है।
दारोग़ा
उन्माद का रोग तो नहीं मालूम होता?
डाक्टर
[सिर हिलाकर]
यदि आप कहें तो मैं उसके बारे में रिपोर्ट पेशकर
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