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अङ्क २]
[दृश्य १
न्याय

रुथ

मेरा दोष है कि मैं कभी उसकी खुशामद नहीं करती। ऐसे आदमी की खुशामद करेंही क्यों?

जज

तुम उनका कहना नहीं मानती होगी।

रुथ

[प्रश्न को टालकर]

मैं हमेशा उसकी इच्छा के अनुसार काम करती रही हूँ।

जज

मुलज़िम से जान पहिचान होने के पहिले तक?

रुथ

नहीं, बाद को भी।

जज

मैं यह सवाल इसलिए पूछ रहा हूँ कि तुम मुलजिम से प्रेम करना निंदा की बात नहीं समझती?

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