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दो शब्द
पूज्यपाद द्विवेदीजी महाराज की हम पर भी बड़ी कृपा है। उसी कृपा के फल-स्वरूप हमें भी द्विवेदीजी-रचित कई ग्रंथ गंगा-पुस्तकमाला में गूँथने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। यह 'नैषध-चरित-चर्चा' विद्यार्थियों के बड़े काम की चीज़ है, और हमें आशा है, हिंदी-साहित्य-सम्मेलन और अन्यान्य शिक्षा-संस्थाएँ इसे अपने यहाँ पाठ्य पुस्तक नियत करने की कृपा करेंगे।
लखनऊ | दुलारेलाल भार्गव |
ता॰ ४।१२।३३ |