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नैषध-चरित का पद्यात्मक अनुवाद
सलिल कर दिया'। 'सलिल कर दिया'! पंचनली का पानी हो गया! अनुवाद देखने से तो यह बात सिद्ध नहीं होती। उसमें तो नैषध-चरित के भावों की बड़ी ही दुर्दशा हुई है। एक ही चावल के टटोलने से देनची का पूरा हाल विदित हो जाता है। अतएव विना पूरा अनुवाद देखे ही, पूर्वोक्त दो उदाहरणों से ही, पाठक उसकी याग्यता का हाल जान जायँगे।
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