पृष्ठ:नैषध-चरित-चर्चा.djvu/३९

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३८
नैषध-चरित-चर्चा

लेख-माला के प्रथम भाग में भी छपा है । इंडियन ऐंटिकेरी (१५-७८८) में जयचंद का एक और भी दानपत्र छपा है । यह उस समय का है, जब जयचंद युवराज थे। इसमें १२२५ संवत् दिया हुआ है।

राजशेखर सूरि ने जयंतचंद्र को (इसी को जयचंद्र भी कहते थे) गोविंदचंद्र का पुत्र कहा है । परंतु यह ठीक नहीं। जयचंद के पिता का नाम विजयचंद्र था और विजयचंद्र के पिता का गोविंदचंद्र था। यह बात उन दो दानपत्रों से सिद्ध है, जिनका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है । दानपत्र में जयचंद की वंशावलि इस प्रकार लिखी है—

यशोविग्रह, महोचंद्र, चंद्रदेव, मदनपाल, गोविंदचंद्र, विजय- चंद्र, जयचंद्र।

पीछे के तीन राजाओं के पिता-पुत्र-संबंध सूचक पद्य भी, राजा जयचंद के दानपत्र से, हम नीचे उद्धृत करते हैं—

तस्मादजायत निजायतबाहुवल्ली-
बन्धावरुखनवराज्यगजो नरेन्द्रः ।
सान्दामृतद्रवमुचां प्रभवो गवां यो
गोविन्दचन्द्र इति चन्द्र इवाम्बुराशेः॥१॥
अजनि विजयचन्द्रो नाम तस्मान्नरेन्द्रः
सुरपतिरिव भूभृत्पक्षविच्छेदक्षः।
भुवनदहनहेलाहर्म्यहम्मीरनारी-
नयनजलधाराधौतभूलोकतापः ॥२॥