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नैषध-चरित-चर्चा
श्रीहर्ष का गोत्र शांडिल्य था। एक बात और भी है। आदि-शूर
के श्रीहर्ष "गोविंदपादांबुजयुग"- सेवी अर्थात् वैष्णव थे।
परंतु नैषध चरितवाले श्रीहर्ष 'चिंतामणिमंत्र' की चिंतना करने-
वाले थे। यह मंत्र भगवती का है। अतएव नैषध-चरित के
प्रणेता श्रीहर्ष शाक्त मालूम होते हैं।
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