नैषध-चरित के कर्ता श्रीहर्ष का जीवन-चरित बहुत ही कम उपलब्ध है। अपने ग्रंथ में इन्होंने अपने विषय में जो दो-चार बातें कह दो हैं, वे ही प्रामाणिक मानी जाने योग्य हैं । इनके समय तक का निर्भ्रांत निरूपण नहीं हो सकता, यह और भी दुःख की बात है । यदि हमारे देश का प्राचीन इतिहास लिखा गया होता, तो ऐसे-ऐसे प्रबंधों के लिखने में उसका अतिशय उपयोग होता । हमारे पूर्वज और अनेक विषयों में निष्णात होकर भी इतिहास लिखने से इतने पराङ मुख क्यों रहे, इसका कारण ठीक-ठीक नहीं समझ पड़ता । वे प्रवास-प्रिय न थे, अथवा मनुष्य-चरित लिखना वे निंद्य समझते थे, अथवा जीवन-चरित उन्होंने लिखे, परंतु ग्रंथ ही लुप्त हो गए—चाहे कुछ हो, इस देश का पुरातन इतिहास बहुत ही कम प्राप्त है, इसमें संदेह नहीं।
भाद्रपद की घोर अंधकारमयी रात्रि में जैसे अपना-पराया नही सूझ पड़ता, वैसे ही इतिहास के न होने से ग्रंथ-समूह का समय-निरूपण अनेकांश में असंभव-सा हो गया है । कौन आगे हुआ, कौन पीछे हुआ, कुछ नहीं कहा जा सकता।