करती थी, उस विवाह की-जिसमें उसके जीवन की सारी अभिलाषाएँ विलीन हो जायँगी, जब मण्डप के नीचे बने हुए हवन-कुण्ड में उसकी आशाएँ जल कर भस्म हो जायेंगी!!