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चौदहवाँ परिच्छेद

तीनों बातें एक ही साथ हुईं—निर्मला की कन्या ने जन्म लिया, कृष्णा का विवाह निश्चित हुआ; और मुन्शी तोताराम का मकान नीलाम हो गया! कन्या का जन्म तो साधारण बात थी! यद्यपि निर्मला की दृष्टि में यह उसके जीवन की सबसे महान् घटना थी; लेकिन शेष दोनों घटनाएँ असाधारण थीं! कृष्णा का विवाह ऐसे सम्पन्न घराने में क्यों कर ठीक हुआ? उसकी माता के पास तो दहेज के नाम कौड़ी भी न थी; और इधर बूढ़े सिन्हा साहब जो अब पेन्शन लेकर घर आ गये थे, बिरादरी में महा लोभी मशहूर थे। वह अपने पुत्र का विवाह ऐसे दरिद्र घराने में करने पर कैसे राज़ी हुए? किसी को सहसा विश्वास न आता था। इससे भी बड़े आश्चर्य की बात मुन्शी जी के मकान का नीलाम होना था। लोग मुन्शी जी को अगर लखपती नहीं, तो बड़ा आदमी अवश्य समझते थे। उनका मकान कैसे नीलाम हुआ? बात यह थी कि मुन्शी जी ने एक महाजन से