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भरा रहता है। फिर जो थूक के ठौर से जन्मेंगा वह कहां तक, घुफैलपना न करेगा। दूसरे कायस्स हैं, इन पर भी कायस्थ- सभा, कायस्थ पाठशाला का इलजाम लग सकता है, और ने लोग येणय हो जाते हैं, इस ने कलिगुग जो नापुश जाय तो अजय नहीं। पर कि कलियुगराज की माशूका वी उरदूझान की सिफारिश है, इसमे कोई डर नहीं रहा। दोसरे मुमाहिय कलगार है, इनमें वेराक वही लोग हुजूर के पापान है, जो कलवरिया के कार्याध्यक्ष हैं। चोथे कहार, पाचवे फसाई, छठेकसी यह वेशा वेग्य है। इन छहाँ मुमा हिषों में इतना मेल है कि एक दूसरे के मानो अग प्रत्यग हैं। पक के विना दूसरा निर्बल हे, और उन्हीं के एका का फल है कि कलिदेव राज करते हैं। यह परिचयस्तोत्रपाठमों की अद बढाने मात्र को दिया है।
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